अपने कौन हैं - एक दिलचस्प बात

अपने कौन


एक शख्स ने बछड़ा ज़िब्ह किया और उसे आग पर पका कर अपने भाई से कहा कि:
             "हमारे दोस्तों और पड़ोसियों को दावत दो ताकि वो हमारे साथ मिलकर इसको खाएं-"
उसका भाई बाहर गया और पुकार कर कहा:
           "ऐ लोगो! हमारी मदद करो मेरे भाई के घर में आग लगी हुई है-
कुछ ही देर में लोगों का एक मजमा निकला और बाक़ी लोग काम में लगे रहे जैसे उन्होंने कुछ ना सुना हो-
वो लोग जो कि आग बुझाने में मदद को आए थे उन्होंने सेर होकर खाया पिया..
तो वो शख्स ताज्जुब से अपने भाई की तरफ देखकर कहने लगा:
       "ये जो लोग आए थे मैं तो इन्हे नहीं पहचानता और ना मैंने पहले इनको देखा है फिर हमारे दोस्त अहबाब कहां हैं?"
भाई ने जवाब दिया कि:
         "ये लोग अपने घरों से निकल कर हमारे घर में लगी आग बुझाने में हमारी मदद को आए थे ना कि दावत में-इसलिए यही लोग मेहमानी और मेहरबानी के मुस्तहिक़ हैं-"

सबक़ ये है कि:
           "जिसको तकलीफ के वक़्त अपने इर्द-गिर्द ना पाएं उसको दोस्त,भाई या पड़ोसी नाम मत दें.. और जो तंगी के वक़्त तुझ पर हंसे वो तेरी जानिब से मुहब्बत और एहतिमाम का मुस्तहिक़ नहीं..!!"
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दोस्तों यह मैसेज सिर्फ अपने तक ही महदूद ना रक्खें अपने दोस्तों को भी शेर करें इस्लाम की बातें लोगों तक पहुंचाना भी सदका है

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