गौस का बकरा
लोग कहते हैं ,
( वमा उहिल्ला विही लिगैरिल्लाह ) पड़के वहाबी ऐतराज़ करते हैं ,
11वीं तो हराम हो गई 11वीं का बकरा तो हराम हो गया ,
क्योंकि उसमें गैरुल्लाह का नाम आ गया ,
हमने पूछा कुर्बानी करते हो ?
कहने लगे बेशक करते हैं ,
हमने कहा क्यूँ करते हो ?
कहने लगे अल्लाह का हुक्म है ,
हमने कहा फिर ये क्यूँ कहते हो ( ये मेरे नाम की , ये अब्बा के नाम की ये अम्मा के नाम की , ये हिस्सा चाचा के नाम का , ये हिस्सा मेरे नाम का )
और ये नबी के नाम की ,
हमने कहा गैरुल्लाह का नाम आ गया हराम क्यूँ नहीं हुई ?
कहने लगे ज़बह के वक़्त अल्लाह का नाम ,
हमने कहा ज़बह के वक़्त तो गौसे पाक का नाम नहीं होता उस वक़्त भी अल्लाह का ही नाम होता है ,
बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर ,
इसके सिवा अगर कोई ज़बह करता हो तो उसको सामने लाओ , हमारी किसी किताब में दिखाओ ??
और मुस्तफ़ा करीम अलैहिस्सलाम का फरमान मुस्लिम शरीफ में पढ़िए फ़रमाया ( ये मेरी तरफ से ये मेरी अहले बैत की तरफ से और क़यामत तक जो मेरा उम्मती हसरत करे कि काश मेरे पास पैसा होता तो मैं भी कुर्बानी करता , फ़रमाया तेरी नियत खालिस हो तेरे लिए हमने पहले ही कर दी )
मफहुमे हदीस ,
फ़रमाया मिन उम्मते मुहम्मदिन ,
उम्मते मुहम्मदी की तरफ से ,
बताओ हराम क्यूँ न हुई ??
उम्मत का नाम भी आ गया ,
उम्मत में गौस भी हैं ख्वाजा भी हैं कुतुब भी हैं हम भी हैं सब हैं ,
बताओ बताओ हराम क्युँ न हुई ?
नबी पाक अलैहिस्सलाम ने वही काम किया तो सुन्नत ,
और आज हम वही काम करें तो शिर्क कैसे ??
साबित हुआ तुम्हें बुग़ज़ है नबी से , नबी के तरीके से ,
तुम्हें उम्मत में फ़ितने फासाद फैलाने के लिए ही यहूद ओ नसारा ने पैदा किया है ,
हासिल कलाम ये की नाम आने से हराम नही होता ,
ज़बह के वक़्त गैरुल्लाह का नाम लो तब हराम होता है ,
दोस्तों यह मैसेज सिर्फ अपने तक ही महदूद ना रक्खें अपने दोस्तों को भी शेर करें इस्लाम की बातें लोगों तक पहुंचाना भी सदका है
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